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Magan’s wives Basanti Bai and Santu Bai with his youngest son Vinod सुप्रीम कोर्ट का शानदार फैसला तमाम और लोगों के साथ मगन के लिए भी राहत लाया है| उच्चतम न्यायालय के फैसले ने मानवाधिकार संरक्षण की दिशा में एक लंबी छलांग लगा दी है| भले ही मृत्युदंड को कानूनी रूप से उचित ठहराया जाए, […]
पन्ना जिले की तीन साढ़े तीन साल की पार्वती अपनी बीमारी के बारे में यदि सीधे प्रधानमन्त्री को लिख पाती तो शायद इस खत का मजमून कुछ और ही होता | शायद हम उसे पढ़ने की हिम्मत भी नहीं कर पाते। बहरहाल इस पत्र से टी.बी. के उपचार की वास्तविकता और नीतिगत चूक सामने आ […]
दमोह जिले के हरदुआ” गांव के धम्मू प्रजापति” अपनी गेंहू की फसल के उत्पादन से बहुत खुश हैं। वे कहते हैं कि ऐसा पहली बार हुआ है की बीज कम लगा और खाद के लिए कर्ज भी नहीं लेना पड़ा फिर भी फसल पहले से डेढ़ गुना तक ज्यादा हुई है। इस बार उनके परिवार […]
Whether fully or partially responsible for a crime, whether involved or not in an offence, women in Pakistan frequently come off worst when it comes to punishment. Gender-biased practises and discriminatory attitudes have become social norms which have even gained the status of religious dictates. Islam, in its original doctrine and essence, promotes equal recognition […]
Each year, in South Asian communities, thousands of young brides lose their lives over dowry disputes. They are burnt, killed or maimed by husbands and in-laws whose material demands remain unfulfilled. Religions including Islam have always been interpreted and applied in favour of men and power structures. Thus, it is not surprising to notice that dowry […]
मण्डला जिले के “मवई“ ब्लाक में स्थित ग्राम “चंदगांव“ के निवासी मतिया बैगा और पुरषोत्तम बैगा के पुत्र रितेश का जन्म 27 मार्च 2012 को हुआ था , जन्म के बाद से वो हमेशा बीमार रहता था , रितेश को कभी बुखार, कभी सर्दी जुकाम, कभी उल्टी-दस्त होते ही रहते थे , जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ हमारे द्वारा अप्रैल 2013 में वजन लिया गया था तब उसका वजन मात्र 7.200 कि.ग्रा. था, मतिया बैगा […]
As I wanted to discuss many things, and as I found no one else to discuss these things with, I was happy to see you on a branch of a tree in our garden. I told myself, “Ah, here is someone I can talk to.” As I approached and greeted you, you nodded to me […]
Sabita Lahkar, a Guwahati based female journalist called for a press conference on September 10, 2003 demanding justice publicly for sexual harassment at workplace. She was working as the Chief Sub-editor at a vernacular daily Amar Asom. She alleged that her senior, editor in chief and a well known literary figure in the state of Assam […]
The open debate about the denial of equality between men and women may be seen as historically recent. However, the reality of gender imbalance has been a factual data for centuries and unfortunately, when we look at countries like Pakistan, the journey towards gender equality appears to be a long and insidious odyssey. The relationship […]
“Food security exists when all people, at all times, have physical, social and economic access to sufficient, safe and nutritious food.” Aly Ercelan and Muhammad Ali Shah A recent publication of Rome-based UN agencies (FAO along with IFAD and WFP of the UN) aims at global food security. It is worth a serious commentary for […]
The following is a translation of a statement made by Eran Wickramaratne, MP, in Parliament on December 3, 2013. Today, I am going to take the opportunity of the short time accorded to me, to speak on the protection of the lives of those who are being arrested by the police. We all know of the […]
म.प्र के ग्रामीण क्षेत्रों में तो मातृत्व/बाल स्वास्थ एवं पोषण की स्थिति जगजाहिर है पर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में भी स्थिति कोई खास अच्छी नही कही जा सकती है । नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-3 (एन.एफ.एच.एस.) के आकड़ो के अनुसार म.प्र. के शहरी क्षेत्रों में नवजात शिशु मृत्यु दर 41.2 प्रतिशत (ग्रामीण 54.3), प्रसवकालीन शिशु मृत्यु दर 30.3 प्रतिशत (ग्रामीण 30.5), शिशु मृत्यु दर 71.6 प्रतिशत (ग्रामीण 84.6),बाल मृत्यु दर 16.2 प्रतिशत […]
माननीय उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन और ए.के. सिकरी की युगल पीठ ने अक्टूबर 2013 में यह टिपण्णी देकर कि ‘किन्नर समाज में आज भी अछूत बने हुए हैं। आमतौर पर उन्हें स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में दाखिला नहीं मिलता। उनके लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है’, तीसरे लिंग के अस्तित्व और बहिष्कार […]
बीते हफ़्तों में चुनावी सरगर्मी के बीच अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस अनजाना सा गुजर गया| संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौता 24 वर्ष पहले अस्तित्व में आया | दुनिया के लगभग 189 देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने अपने देश में बच्चों को सुरक्षित और सम्मानपूर्ण वातावरण देने के लिए इस समझौते पर हस्ताक्षर किये | भारत ने […]
आजकल मध्यप्रदेश के चुनावी समर में कुपोषण एक बार फिर प्रमुख चुनावी मुद्दा है| बच्चों के गुमशुदा होने का मुद्दा भी राजनीतिक दलों को रिझा रहा है| बच्चों की शिक्षा वैसे आजकल चर्चा में तो नहीं है लेकिन घोषणा पत्रों और विज्ञापनों का हिस्सा जरूर बन गई है| इसे एक नजर से ऐसे भी कहा […]
In a previous article I argued that India’s “rights revolution” has so far mostly existed on paper without significant improvements in the conditions of the poor. In this article I examine the prospects of implementing the National Food Security Bill (NFSB), which was written into law the 12th of September 2013. In particular, I will look […]
The Government of India, led by Congress, claim to be champions of the poor. In the upcoming election they will point out that they have given rights to all the poor; The National Rural Employment Guarantee Act (NREGA) (2005), The Right to Information Act (2005), The Forrest Rights Act (2006), the Right to Education Act […]
An Article by the Asian Human Rights Commission INDIA: बैगा समुदाय की परम्परागत खा़द्य सुरक्षा,पोषण एवं स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति – विनोद पटेरिया डिन्डोरी मध्यप्रदेश का वह जिला है जिसके विषय में राज्य स्तर के अधिकारी यह मानकर चलते हैं कि तो समस्याएं हैं ही, इसलिए कौन इनमे अपना सर खपाये राजनीतिक नेतृत्व के पास अपनी समस्याएं […]
मध्यप्रदेश के सतना जिले का मझगवां ब्लाक उ.प्र. की सीमा से लगा किनारे का ब्लाक है। भौगोलिक रुप से यहां की स्थिति पहाड़ों और जंगलो वाली है, अधिकतर खेती सिर्फ प्रकृति पर आधारित है, जिसमें यदि मौसम अनुकूल रहा तो वर्ष मे गेहू, चना, बाजरा, धान, अरहर आदि की फसलें एक बार होती है। जनसंख्या की दृष्टि से ब्लाक में दलित […]
Nilantha Ilangamuwa The truth has been placed before us that the passing of laws does not mean people will benefit from them without proper implementation through the criminal justice system in the particular country. In the words of the great poet Rabindranath Tagore, “facts are many, but the truth is one.” Recent violence in Bangladesh […]
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